हम कौन हैं
पर्सिक्युशन रिलीफ एक इंटर-डिनोमीनेशनल (अन्तःकलीसियाई) पहल है। डिनोमीनेशन की बाधाओं को तोड़ते हुए, हम सभी मसीहियों के साथ काम करते हैं — चाहे प्रोटोस्टेंट, कैथोलिक, अन्य रुढ़िवादी इत्यादि कलीसियाएं हों। हमें एक होने की आवश्यकता है चूंकि सताई हुई कलीसिया कलीसियाई (डिनोमीनेशनल) विभिन्नताओं के आधार पर अकेले होने को बर्दाश्त नहीं कर सकती है। जबकि कुछ कलीसियाई समूह (डिनोमीनेशनस) के पास संसाधन और बुनियादी ढांचे हैं, वहीं अनेक आत्मनिर्भर और गैरपंजीकृत कलीसियाएं हैं, जिनके पास ऐसे क्रूर सताव के विरुद्ध आपस में मिलकर काम करने की योग्यताएं या सहयोग प्रक्रिया नहीं हैं।
पर्सिक्युशन रिलीफ, भारत में सताई हुई कलीसिया और मसीही समुदाय के लिए विस्तृत सहयोग [प्रार्थनापूर्वक, आर्थिक रूप से, राजनैतिक रूप, सेन्यायिक रूप से] प्रदान करते हुए, उस जोड़नेवाली कड़ी (लिंक) के रूप में भी कार्य करता है जो इस महत्वपूर्ण फासले को भरता है, सताव पर प्रकाश डालते, इसे प्रभावित करते और इसके विषय में जागरूकता लाते हुए जो भारत और संसार में घातक रूप से बढ़ गया है।
हमारे संस्थापक
जब प्रभु आपसे बात करता है, तो आपको उसकी आवाज़ के प्रति आज्ञाकारी होना है क्योंकि आपके पास कोई विकल्प नहीं है। या तो आप शीघ्रता से उसकी आज्ञा का पालन कर सकते हैं या वह आपसे आज्ञा का पालन करवाएगा, परन्तु वह यात्रा बहुत पीड़ादायक हो सकती है। यदि आपके पास एक बुलाहट है तो आपको उसका प्रतिरोध या इंकार नहीं करना चाहिए!
मेरी कहानी जुलाई 2015 को आरंभ हुई है। पवित्र आत्मा ने भारत में सताई हुई कलीसिया की सहायता करने के लिए मुझ से विशिष्ट रूप से बात की थी और मेरा त्वरित प्रत्युत्तर था “प्रभु मैं पहले से ही इसे कर रहा हूँ!!”
मध्य प्रदेश के राज्य में, जहाँ मैं पैदा हुआ और पला-बढ़ा, वहाँ राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों, व्यावसायिक अगुवों, पुलिस अधिकारियों इत्यादि के साथ मेरा बहुत अच्छा सम्बन्ध था। जब कभी हमारे समुदाय में हमारे भाइयों के बीच कोई स्थिति पैदा होती थी, मैं हमेशा वहाँ पहुंचता था और सभी संभावित तरीकों से उनकी मदद करता था।
फिर भी, मैं ने प्रभु को यह कहते हुए सुना, “तुझे इसे खुले तौर पर करना है; यह युद्ध का समय है और तुझे खड़े होने की आवश्यकता है जैसा एस्तेर ने किया था” (अपने लोगों और राजा की ओर जाते हुए)।
जो कुछ प्रभु मुझ से कह रहा था जब मैं ने उसके सम्पूर्ण महत्व को समझा, तो मैं भयभीत हो गया। “नहीं प्रभु, मैं इसे पूर्णकालिक रूप से नहीं कर पाऊंगा” यह मेरा जवाबी उत्तर था, चूंकि मैं किसी सेवकाई में संलग्न होने का इच्छुक नहीं था। मेरे पास कभी भी इसके लिए कोई बोझ नहीं था; यह कभी भी अतीत में मेरे दिमाग में नहीं आया था; न ही मैं अपने राजनैतिक मित्रों के विरुद्ध खड़े होने के लिए तैयार था। संक्षेप में, अपने शर्तों पर जीवन जीते हुए, आराम और सुखविलास की अपनी ज़िंदगी को छोड़ने के लिए तैयार न होते हुए, मैं अपनी आरामगाह से कभी बाहर नहीं निकलना चाहता था।
फिर भी, परमेश्वर सतत् प्रयासरत था। जबकि मैं बेचैन था और परमेश्वर की आवाज़ से निरन्तर युद्ध करता रहा, फिर भी वह मुझ से लगातार मिलता रहा, यह बताते हुए कि जब वह इस पृथ्वी पर आया था, तो उसने उसका बलिदान किया जिसके लिए उसने सम्पूर्ण कीमत चुकाई थी; यह कि मुझे उसी मन से उसकी सेवा करना होगा। मेरी प्रत्येक सेवा के लिए मुझे कोई न कोई कीमत चुकानी होगी।
परमेश्वर ने मुझे अपने पवित्र आत्मा से भर दिया और मेरे हृदय में एक स्पष्ट आदेश को डाल दिया — वह चाहता था कि मैं “बाहर निकलूं” और लोगों को भारत में उसकी सताई हुई कलीसिया के विषय में जागरूक करूं, प्रार्थना योद्धाओं को उत्पन्न करूं और मेरे लिए कि मैं इस संस्था के माध्यम से व्यापक सहयोग प्रदान करूं।” कदम-दर-कदम, उसने मेरे सामने अपने नक्शे प्रकट करना आरंभ कर दिया, मुझे उस स्थिति को दिखाते हुए जिसका सामना कलीसिया करने जा रही थी। यह इस सोते से है, जहाँ से जीवन के जल की नदियों ने बहना शुरू किया।
“पर्सिक्युशन रिलीफ” का नाम ‘परमेश्वर की ओर से निवेश/इनपुट” का पहला विकल्प था, और उस घड़ी से हर एक निर्णय, प्रकट होना शुरू हो गया, एक के बाद एक — मेरी ओर से बिना कोई असल प्रयास किए। ठीक वैसे ही जब दाऊद ने परमेश्वर के मन्दिर के लिए नक्शा प्राप्त किया था, तो मन्दिर के निर्माण के लिए ज़रूरी सभी सामग्रियां को आवश्यकता से अधिक पा लिया गया, तो ऐसा हुआ कि उसे लोगों को बताना पड़ा कि भेंटों को लाना बन्द करें — परमेश्वर मुझे निरन्तर सिखाता रहा कि जब वह आपको कोई दर्शन देता है, तो वह इस दर्शन को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक समस्त वस्तु को प्रदान करेगा।
मैं ने पर्सिक्युशन रिलीफ का वेबसाईट बनाया और जैसा बाकि सभी करते हैं, मैं ने ‘दान का पृष्ठ’ डाला। एक दिन, मेरी यात्राओं के दौरान, मैं ने फिर से प्रभु को कहते हुए सुना, मुझे यह कहते हुए कि “दान के पृष्ट’ को हटा दे।
परमेश्वर ने कहा, “तेरे पास “दान का पृष्ठ’ क्यों है? वह मैं हूँ जिसने तुझे यह परियोजना दी थी और यह मेरा है कि जो कुछ तुझे आवश्यक हो उसे प्रदान करूं। पहले अपने आपको खाली कर। किसी और की कड़ी-मेहनत की कमाई से सेवा करना बहुत ही आसान है।” मैं ने उसकी ताड़ना के द्वारा दीनता का एहसास किया परन्तु इस घटना ने मुझे प्रेरित किया कि उस पर 100% भरोसा रखूं।
जैसे मेरी यात्रा आरंभ हुई, भारत में सताई हुई कलीसिया के लिए अपने दर्शन को साझा करते हुए, मैं ने वरिष्ठ अगुवों से बात करना शुरू किया। मैं हमेशा परमेश्वर के जनों के द्वारा प्रोत्साहित होता था यदि कुछ का नाम लूं तो जैसे पास्टर डी. मोहन, पास्टर पॉल दिनाकरण, पास्टर टी. जे. शमूएल, पास्टर बाबू चेरियन, पास्टर जैकब जॉन, पास्टर पी. आर. बेबी इत्यादि।
जब मैं पीछे देखता हूँ, तो हज़ारों लोगों, संस्थाओं एवं सताई हुई कलीसियाओं को राहत प्रदान करते हुए, पर्सिक्युशन रिलीफ ने एक अविश्वसनीय यात्रा की है। मैं प्रत्येक भाई एवं बहन और कलीसिया एवं संस्था के लिए धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने बलिदानात्मक रूप से दान दिया और पर्सिक्युशन रिलीफ और हमारी भूमि में सताई हुई कलीसिया का सहयोग किया। ऐसे लोगों के लिए मैं अपने सम्पूर्ण हृदय से परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ। आपकी सहयता एवं सहयोग के बिना हम इसे हासिल नहीं कर सकते थे।
साथ ही मैं प्रत्येक भाई और बहन के लिए परमेश्वर का भी धन्यवाद करना चाहता हूँ जो हमारी भूमि में यीशु मसीह के सुसमाचार को फैला रहे हैं, जिन्होंने ऐसे बलिदान दिए हैं जिन्हें हम तब तक नहीं जान पाएंगे जब तक यीशु दोबारा नहीं आ जाता है, जिनके नाम प्रकाशित नहीं हुए हैं और जिनके पास मिडिया का प्रसारण नहीं है, जिन्हें मसीही आयामों में नहीं जाना जाता है, परन्तु जो परमेश्वर का भय माननेवाले और नम्र लोग हैं। मैं उन्हें सलाम करता हूँ।
पर्सिक्युशन रिलीफ के शुभारंभ के समय से ही, हमारे पदचिन्ह और सम्पूर्ण भारत तक हमारी पहुंच भारत के पूरे 29 राज्यों तक बढ़ती रही है। हमारा दर्शन है कि एक शरणार्थी केंद्र बनाया जाए जो भारत में सताई हुई कलीसिया के लिए एक पनाहगाह होगा।
मैं सर्वशक्तिमान को धन्यवाद देता हूँ, मुझे इस महान सेवकाई को देने के लिए। मैं परमेश्वर की स्तुति करता हूँ प्रत्येक हृदय के लिए जिसे छुआ गया है, प्रत्येक जीवन के लिए जिसे रूपान्तरित किया गया है, प्रत्येक परिवार और रिश्ते के लिए जिसे पर्सिक्युशन रिलीफ के माध्यम से बहाल किया गया है — सब कुछ क्रूस पर मसीह के अद्भुत काम और परमेश्वर के दासों के साहस और दृढ़निश्चय के परिणाम से है, कि इस संसार में प्रकाश और नमक हों।
ऐसा बहुत कुछ है जिसे किया जाना है; मेरा आदर्श यीशु है और हमारी उपलब्धियों को क्रूस के द्वारा परिभाषित किया जाता है — सेवा, दीनता और बलिदानात्मक प्रेम के द्वारा। हम विश्वास करते हैं कि आनेवाले दिनों में बहुत से सतानेवाले यीशु मसीह को अपने व्यक्तिगत उद्धार्कता के रूप में स्वीकार करेंगे और छड़ी (baton) को आगे ले जाएंगे।
कीमत की परवाह किए बगैर, मैं एक उदाहरण बनना चाहता हूँ और भारत में हज़ारों लोगों को प्रेरित करना चाहता हूँ कि इस विरासत को जारी रखें, कि सताई हुई कलीसिया को स्मरण रखने में और उसकी सेवा में अपने जीवनों को समर्पित करें। परमेश्वर उन विभिन्न ज़िंदगियों के माध्यम से काम में संलग्न है जिन्हें पर्सिक्युशन रिलीफ के माध्यम से छुआ गया है।
उनके माध्यम से यीशु मसीह की सुन्दरता तेजस्वी रूप से चमके।
शिबू थॉमस
हमारा लक्ष्य
“भारत में यीशु मसीह की आराधना करने की स्वतन्त्रता को सुनिश्चित करना।”
भारतीय संविधान धर्म की स्वतन्त्रता के अधिकार की गारंटी देता है जो एक मौलिक आधिकार है जिसकी गारंटी भारत के संविधान के धारा 25-28 के द्वारा दी जाती है। आधुनिक भारत 1947 को अस्तित्व में आया था और यह बताने के लिए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है भारतीय संविधान की प्रस्तावना को 1976 में संशोधित किया गया था। भारत के प्रत्येक नागरिक के पास यह अधिकार है कि शांतिपूर्वक ढंग से अपने धर्म का पालन करे और उसे बढ़ाए। प्रत्येक नागरिक के पास अपने धर्म या मत को बदलने की भी स्वतन्त्रता है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में एक साथ जुड़ा हुआ है जिसमें इतने सारे धर्म हैं और संविधान प्रत्येक नागरिक को उस स्वतन्त्रता की गारंटी देता है कि अपने पसन्द के धर्म का चुनाव, अनुसरण, प्रचार-प्रसार और पालन करे।
हाल ही में, अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर मसीहियों, ने पूरे भारत में धमकी, उत्पीड़न और हिंसा की अनेक घटनाओं का अनुभव किया है, वृहद् रूप से हिन्दू राष्ट्रवादी समूहों के द्वारा। आश्चर्यजनक रूप से सत्तारूढ़ पार्टी इन समूहों का खमोशी से समर्थन करती है बजाए इसके कि इसे समाप्त करे। अनेक समयों में, पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी इन धार्मिक कट्टरवादियों का पक्ष लेते हैं, जो असुरक्षा और भय की बढ़ती भावना में परिणित हो जाता है।
साथ ही राष्ट्रीय और राज्य सरकारों ने धर्म परिवर्तन, NGO के लिए विदेशी आर्थिक सहायता, FCRA, अनाथालयों एवं शिशु घरों को प्रतिबंधित करने के लिए, और निजी सम्पत्तियों में कलीसिया तथा सावर्जनिक धार्मिक सभाओं इत्यादि के आयोजन के समापन के लिए अनेक कानूनों को भी लागू किया था।
आठ राज्यों — अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडीसा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड ने धर्म परिवर्तन को अपराध बताते हुए “धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक” को स्वीकृति दे दी है। यह विधेयक लोगों के धर्म परिवर्तन के अधिकार पर अतिक्रमण करता है, अल्पसंख्यक धर्मों के ऊपर हिन्दुत्व की तरफदारी करता है, और भारत की धर्मनिरपेक्षता के प्रति महत्वपूर्ण चुनौती का प्रतिनिधित्व करता है। इस विधेयक ने क्रिश्चियन और हिन्दू समुदायों के बीच में सांस्कृतिक अन्तर को बढ़ा दिया है।
जहाँ तक भारत में वर्तमान स्थिति की बात है उस खतरे की ओर देखते हुए जो असहिष्णुता में है, यह शब्द अपर्याप्त है। प्रत्येक सरकारी अमला, राष्ट्रीय टेलीविज़न चैनल, निजी टी वी चैनल, समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं बहुसंख्यक धर्म के लिए पक्षपाती हैं। पर्सिक्युशन रिलीफ भारत में यीशु मसीह की आराधना की स्वतन्त्रता को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इन मुद्दों पर प्रकाश डालता है।
जब भारत में धार्मिक असहिष्णुता की घटनाएं घटती हैं, तो यह भारतीय सरकार की ज़िम्मेदारी एवं कर्तव्य है कि इन विवादों को रोके और नियन्त्रित करे और इसके अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही करे।
पर्सिक्युशन रिलीफ ने भरोसेमन्द एवं विश्वसनीय जानकारी प्रदान करने के लिए प्रसिद्धि अर्जित की है। हम लाखों मसीहियों के लिए आवाज़ उठाते हैं जिन्हें भारत में अपने विश्वास को चुनने के लिए और उसका पालन करने के लिए अपने ईश्वर-प्रदत्त अधिकार से वंचित किया जाता है; हम विश्वास करते हैं कि जनतांत्रिक समाज के उचित रीति से कार्य करने के लिए चुनने की स्वतन्त्रता आधारभूत है।
हमारा मिशन
“भारत में सताई हुई कलीसिया को व्यापक सहयोग प्रदान करना, इसे संसार की स्वतन्त्र कलीसिया से जोड़ने के द्वारा।”
मसीही लोग निरन्तर एक के बाद एक सामुदायिक हिंसा की लहर का सामना करते रहते हैं — सरकारी अधिकारीयों के द्वारा कलीसियाओं का जबरन बन्द किया जाना; रविवारीय आराधना सभा के दौरान पुरुषों, स्त्रियों एवं बच्चों को बेतरतीब ढंग से मारना-पीटना; धार्मिक कट्टरवादी भीड़ का सम्पूर्ण दण्ड मुक्ति के साथ कलीसियाओं में भीतर चले आना, पवित्र स्थान की पवित्रता को अशुद्ध एवं नष्ट करना, पवित्र बाइबल को फाड़कर जलाना, पैरों से रौंदना एवं अपवित्र करना, भक्तिहीन पुरुषों के झूठे मामले, कारावास एवं अभियोग, गांवों से बहिष्कृत करना, हुक्का-पानी बंद करना और उनके घरों से भगाना, जंगलों में रहने के लिए बाध्य करना — ये कुछ नियमित घटनाएं हैं जिनका सामना वर्तमान भारत में मसीहियों के द्वारा किया जाता है।
फिर भी, मसीही समुदाय का एक बड़ा प्रतिशत इस बात के प्रति अनजान है कि सताव एक वास्तविकता है और भारत में फलदायी है। पर्सिक्युशन रिलीफ प्रताड़ित और विस्थापित मसीहियों की वास्तविकता एवं कहानियों को सामने लाने के द्वारा इस फासले को जोड़ने का प्रयास करता है।
हमारा उद्देश्य
“सताए हुए लोगों की सेवा करना — सतानेवालों से प्रेम करना”
यीशु के अनुयायियों के रूप में, हमारा प्राथमिक केन्द्र-बिन्दु यह है कि अपने साथी नागरिकों के साथ परमेश्वर के प्रेम को साकार करें। यद्यपि यह सही है कि समाज के द्वारा वृहद् रूप से मसीहियों को जलाया, मारा-पीटा, सताया, उनकी तरक्की को ठुकराया और उन्हें अलग रखा जाता है, फिर भी यीशु ने हमें सिखाया है कि, “धन्य हैं वे जो मेल करानेवाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।” परमेश्वर शांति से प्रेम करनेवाला और शांति स्थापित करनेवाला परमेश्वर है। परमेश्वर की संतानों के पास उनके पिता का स्वभाव होना चाहिए। मसीहियों को मसीह के मन के साथ विशिष्ट लोग होने के लिए बुलाया गया है — ज्योति के लोग, जो अपने सतानेवालों का सम्मान, उनसे प्रेम और उनके लिए प्रार्थना करते हैं।
हमें सतानेवालों के लिए प्रार्थना और उनसे खुलकर प्रेम करना चाहिए। “क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों और अधिकारीयों से, और इस संसार के अन्धकार के हकीमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। इफिसियों 6:12.
साथ ही पर्सिक्युशन रिलीफ कलीसियाओं को प्रोत्साहित भी करता है कि “शत्रु की छवि” को छोड़ दें जो हम में ऐसे लोगों के लिए है जो हमें सताते हैं (राजनैतिक नेता / राजनैतिक पार्टियां / लोग / आतंकवादी समूह / कट्टरवादी धार्मिक समूह)। सतानेवालों के विरुद्ध FIR दर्ज करने में हम कलीसियाई अगुवों या पासबानों को बढ़ावा या प्रोत्साहन नहीं देते हैं। हमारा आदर्श यीशु मसीह है, जिसने हमें अपने गुनाहगारों को क्षमा करने की आज्ञा दी है।
प्रत्येक मामले के “सतानेवालों” को हमारे द्वारा दर्ज किया जाता है, उन्हें पहचाना जाता है, और प्रार्थना योद्धाओं की एक टीम नियमित रूप से उनके लिए प्रार्थना करती है, ताकि अनेक शाऊल पौलुस में बदले जा सकें। साथ ही हम कलीसिया को शिक्षित भी करते हैं कि सतानेवालों को क्षमा करें जैसा यीशु ने हमें सिखाया था।
हमारा दर्शन
परिचय:
यदि आपने हवा में किले बनाए हैं . . . . तो उनके नीचे नीवों को डालो’ — थोरियो ने कहा
पर्सिक्युशन रिलीफ पहली बार एक शरणार्थी केन्द्र बनाएगा, “पारान” वह आश्रय स्थल होगा जो भारत में सताई हुई कलीसिया को जीवन-रेखा प्रदान करेगा। यह पनाहगाह शहीदों की विधवाओं एवं बच्चों और सताए हुए भाइयों के अन्य समूहों के लिए निवास, मानसिक आघात के बाद देखभाल, आत्मिक नवीनीकरण, पुनःसमर्पण एवं बहाली की अत्यंत आवश्यकता पर ध्यान देगा जिन्हें समुदाय के द्वारा छोड़ दिया जाता है।
पवित्र आत्मा ने “पारान” की धारणा को जन्म दिया था . . . . . . .भाई शिबू थॉमस के हृदय
पृष्ठभूमि:
हमारी सर्वोत्कृष्ट कम्पनी ‘पर्सिक्युशन रिलीफ’ एक अन्तःकलीसियाई पहल है, जिसे पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के
अधीन जुलाई 2015 में स्थापित किया गया था, जो भारत में सताई हुई कलीसिया को व्यापक सहयोग प्रदान करता
है। यह मंच प्रार्थनापूर्ण, आर्थिक, न्यायिक और राजनैतिक सहयोग प्रदान करता है। फिर भी, शुरूआती सहयोग से
पहले, हमारे भाई समाज में वापस एकीकृत होने के लिए संघर्ष करते थे।
वर्तमान में, भारत या विदेश में ऐसी कोई संस्था या पहल नहीं है, जो सताई हुई कलीसिया के लिए शरण स्थान या आश्रय स्थल प्रदान करती है। ‘पारान’ की कल्पना की गई थी. . . . .और परमेश्वर की इच्छा हुई तो ‘पारान’ को 2017 के अंत तक स्थापित कर दिया जाएगा। यह भारत में सताई हुई कलीसिया के लिए जीवन-रेखा होगी, हमारे भाइयों के लिए शरण स्थान प्रदान करते हुए जो सांस्कृतिक रूप से और धार्मिक रूप से दमन एवं भेदभाव, आर्थिक
आभाव, आर्थिक तंगी और सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं से बहुत कम सहयोग के साथ वैधानिक रूप से हाशिये पर होने का सामना करते हैं।
यह पनाहगाह शहीदों की हताश विधवाओं एवं शहीदों के बच्चों की आवश्यकता पर ध्यान देने का प्रयास करेगा, जिन्हें समुदायों एवं कलीसिया (कुछ मामलों में) के द्वारा छोड़ दिया जाता है, मानसिक आघात के बाद पर्याप्त देखभाल और बहाली प्रदान करते हुए।
अतः ‘पारान’ नाम ही क्यों और ‘पारान’ का क्या अर्थ है?
‘पारान’ शब्द का एक रूचिकर इतिहास है और इसका अर्थ है “गुफाओं में प्रचुर मात्रा में होना।”
पवित्रशास्त्र में परमेश्वर के लिए लागू किए गए अधिकांश अलंकारों के समान, ‘पारान’ के नाम एवं धारणा को हमारे यहोवा परमेश्वर के प्रति सम्मान और श्रद्धा के रूप में गढ़ा गया है, जो प्रतीकात्मक रूप से ठोस चट्टान, अटल, स्थिर एवं अपरिवर्तनशील है। यीशु मसीह ‘सनातन की चट्टान’ है, जिसे काटा गया या जो हमारे लिए ‘पारान’ बन गया — खण्डित हो गया, पिता से अलग हो गया, जिससे प्रबलता से पाप से होकर रास्ता बनाए। यीशु वह ‘गुफा’ है जिसे पैतृक चट्टान से खोद कर तराशा गया है। यीशु हमारा छिपने का स्थान है। वह ही मार्ग है। परमेश्वर ने ‘चट्टान’ को खण्डित किया ताकि हम उसमें शरण ले सकें और अपनी प्रत्येक आवश्यकता के लिए उसमें छिप सकें। जब हम उसमें बने रहते हैं और अपनी प्रत्येक आवश्यकता के लिए उससे लिपटे रहते हैं, तो भूकम्प का कोई झटका उस अनंतकालिक नीवों से हमें डिगा नहीं सकता है।
‘पारान’ पनाह एवं शरण का एक स्थान होगा, ‘स्वर्ग’ का, परमेश्वर के छुटकारे का, परमेश्वर की करुणा का, परमेश्वर की सुरक्षा का, परमेश्वर के प्रयोजन का और परमेश्वर की शांति का प्रथम स्वाद होगा।
हमारा दर्शन और लक्ष्य:
- ‘पारान’ भारत का ‘बिगुल’ होगा, भारत में कलीसिया के चारों ओर फैले हुए मसीही सताव के अनदेखे एवं अगोचर संकट की घोषणा करने हेतु।
- ‘पारान,’ खुलनेवाला है, यदि परमेश्वर की इच्छा हुई तो 2017 के अंत तक, ‘पारान’ तैयारी, पुनः समर्पण, ‘स्वयं’ के लिए मरने और मसीह की खातिर मरने के लिए तैयारी का स्थान होगा।
- ‘पारान’ उद्यम करेगा कि परमेश्वर के दास बेहतर ढंग से सुसज्जित हों, पवित्र आत्मा के दोगुने भाग से भरपूर हों और यीशु मसीह की महिमा के लिए पराक्रम के बड़े कारनामों को अंजाम दें।
हमारा उद्देश्य:
- ‘पारान’ एक स्टेशन होगा — इकट्ठा होने का स्थान; त्यागे हुए और परमेश्वर के टूटे हुए पुरुषों एवं स्त्रियां के लिए रास्ते का ठहराव, जो पवित्र आत्मा की सामर्थ एवं अधिकार में सशक्त, तरोताज़ा और आगे चलने के लिए सुसज्जित होने का प्रयास करते हैं; जीवन के लिए एक नए सड़क मानचित्र के साथ, उन्हें बाहर संसार में भेजना, जिससे वे अपने जीवनों में परमेश्वर की योजना को हासिल करें।
- ‘पारान’ लोगों के भीतर जुनून एवं उत्साह भर देगा और उन्हें तर-बतर कर देगा, लोगों को उत्तेजित एवं प्रेरित करते हुए कि आगे से स्वयं के लिए नहीं परन्तु उसके लिए जीवन बिताएं, जो मर गया और कब्र से जी उठा था।
- ‘पारान’ परमेश्वर का काम करने के लिए उसके लोगों को सुसज्जित करने का प्रयास करता है, कि उनके जीवनों में परमेश्वर की योजना को हासिल करे, कि कलीसिया का निर्माण करे — अर्थात् मसीह के देह।
हमारे विश्वास का कथन
हम परमेश्वर में, उस सर्वशक्तिमान पिता में विश्वास करते हैं, जो आकाश और पृथ्वी का बनानेवाला है। केवल एक ही परमेश्वर है (व्यवस्थाविवरण 6:4)। वह हमारा पिता है (मत्ती 6:9) और सर्वशक्तिमान प्रभु के रूप में विश्व पर राज्य करता है (प्रकाशितवाक्य 4:2-11)। उसने पिता (उत्पत्ति 1:1), पुत्र (यूहन्ना 1:3; कुलुस्सियों 1:16-17), और आत्मा (उत्पत्ति 1:2) के रूप में वह सब कुछ सृजा है जो अस्तित्व में है।
हम विश्वास करते हैं कि केवल एक ही परमेश्वर है, तीन व्यक्तित्वों में अनंतकालिक रूप से मौज़ूद: पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा। मत्ती 28:19; यूहन्ना 10:30; इफिसियों 4:4-6.
हम विश्वास करते हैं प्रभु यीशु मसीह के ईश्वरत्व में, उसके कुंवारी से जन्म में, उसके निष्पाप जीवन में, उसके चमत्कारों में, क्रूस पर उसके बहाए लहू के माध्यम से उसकी प्रयाश्चितकारी मृत्यु में, उसके शारीरिक पुनरुत्थान में, पिता के दाहिने हाथ की ओर उसके ऊपर उठाए जाने में, और सामर्थ एवं महिमा में उसके व्यक्तिगत रूप से वापस लौटने में। (मत्ती 1:23; यूहन्ना 1:1-4 और 1:29; प्रेरितों के काम 1:11 और 2:22-24; रोमियों 8:34; 1 कुरिन्थियों 15:3-4; 2 कुरिन्थियों 5:21; फिलिप्पियों 2:5-11; इब्रानियों 1:1-4 और 4:15)।
हम विश्वास करते हैं कि पवित्र बाइबल प्रेरित है, एकमात्र त्रुटिहीन एवं परमेश्वर का अधिकारिक वचन जो संसार के प्रति परमेश्वर के प्रेम को प्रगट करता है। (1 थिस्सलुनीकियों 2:13; 2 तीमुथियुस 3:15-17; यूहन्ना 3:16)।
हम विश्वास करते हैं कि सभी मनुष्य, हर जगह, खोए हुए हैं और परमेश्वर के न्याय का सामना करते हैं, कि यीशु मसीह ही उद्धार का एकमात्र मार्ग है, और यह कि खोए हुए और पापमय मनुष्य के उद्धार के लिए, पाप से पश्चाताप और यीशु मसीह में विश्वास पवित्र आत्मा के द्वारा में नए जन्म में परिणित हो जाता है। इसके अतिरिक्त, हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर स्वर्ग में अनंत जीवन के साथ धर्मी को प्रतिफल देगा, और यह कि वह अधर्मी को नरक में अनंतकालिक दण्ड के लिए डाल देगा। (लूका 24:46-47; यूहन्ना 14:6; प्रेरितों के काम 4:12; रोमियों 3:23; 2 कुरिन्थियों 5:10-11; इफिसियों 1:7 और 2:8-9; तीतुस 3:4-7)।
हम विश्वास करते हैं कि “यीशु ने दुख उठाया, उसे क्रूस पर चढ़ाया गया, वह मर गया, और उसे गाड़ा गया।” यीशु के शारीरिक जीवन एवं मृत्यु (लूका 23:46) को पवित्रशास्त्र के द्वारा और साथ भी रोमियों एवं यहूदियों के द्वारा भी दस्तावेज़ में दर्ज किया गया है। वह “हमारे पापों के लिए प्रयाश्चितकारी बलिदान” होने के लिए आया था (1 यूहन्ना 2:2), हमारे स्थान में मरने के लिए (2 कुरिन्थियों 5:21) कि हमारे पापों की कीमत चुकाए और हमारे उद्धार को खरीदे (रोमियों 5:8-9)।
हम विश्वास करते हैं “कि तीसरे दिन वह फिर से मुर्दों में से जी उठा।” यीशु का शारीरिक पुनरुत्थान (मत्ती 28:1-10) वह आश्चर्कर्म है जो उसके ईश्वरत्व को प्रमाणित करता है (1 कुरिन्थियों 15:12-20)। वह फिर से जी उठा जैसी उसने प्रतिज्ञा की थी (मत्ती 16:21), इस बात को प्रमाणित करते हुए कि परमेश्वर का वचन आधिकारिक (मत्ती 28:18), भरोसेमन्द (मत्ती 5:18) और आज भी प्रासंगिक है (2 तीमुथियुस 3:16-17)। उसका पुनरुत्थान प्रारम्भिक मसीही प्रचार का केन्द्रीय दृढ़ कथन था (प्रेरितों के काम 2:29-33; 17:31, 1 कुरिन्थियों 15:1-8)।
हम विश्वास करते हैं कि “यीशु स्वर्ग में ऊपर उठा लिया गया और वह परमेश्वर पिता के दाहिने हाथ विराजमान है।” यीशु का स्वर्गारोहण (प्रेरितों के काम 1:9) उसके परमेश्वरत्व को और अधिक प्रमाणित करता है। वह अब “परमेश्वर की दाहिनी ओर है और हमारे लिए निवेदन भी करता है” (रोमियों 8:34)।
हम उद्धार पाए हुओं और खोए हुओं दोनों के पुनरुत्थान में विश्वास करते हैं; उद्धार पाए हुए जो अनंत जीवन के पुनरुत्थान के लिए हैं और खोए हुए जो नरकवास और अनंतकालिक दण्ड के पुनरुत्थान के लिए हैं (1 कुरिन्थियों 15:51-57; प्रकाशितवाक्य 20:11-15)।
हम विश्वास करते हैं पवित्र आत्मा में, “पवित्र आत्मा परमेश्वर है (प्रेरितों के काम 5:4, 9)।” वह उद्धार के समय से प्रत्येक विश्वासी में निवास करता है (रोमियों 8:18; 1 कुरिन्थियों 3:16)। सेवकाई के लिए उसके वरदान (1 कुरिन्थियों 12:28-29; रोमियों 12:6-8; इफिसियों 4:11-13) आज भी सक्रिय हैं। हमें उसके नेतृत्व के प्रति समर्पण करने के लिए और प्रति दिन सेवा के लिए उसकी सामर्थ की खोज करने के लिए बुलाया गया है (इफिसियों 5:18)।
हम विश्वास करते हैं पवित्र आत्मा के बप्तिस्मा में। हम विश्वास करते हैं कि सभी मसीही पवित्र आत्मा के बप्तिस्मा के हकदार हैं और उन्हें प्रेरितों के काम 2:4 के अनुसार अन्य भाषाओं के साथ बोलने के शुरुआती शारीरिक चिन्ह के साथ इसका प्रयास करना चाहिए। यह अनुभव मसीही सामर्थ देता है कि अपने (स्त्री/पुरुष) जीवन एवं शब्दों के द्वारा गवाही दें।
हम विश्वास करते हैं पवित्र मसीही कलीसिया में, और संतों की धार्मिक संप्रदाय में। यीशु के द्वारा कलीसिया की स्थापना की गई थी (मत्ती 16:18) और आज यह सेवकाई के लिए उसकी देह है (1 कुरिन्थियों 12:27)। सभी समयों (इब्रानियों 12:1) के सभी विश्वासी (1 कुरिन्थियों 12:13) वैश्विक कलीसिया के भाग हैं।
हम विश्वास करते हैं पापों की क्षमा में। विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से हमारा उद्धार हुआ है (इफिसियों 2:8-9)। उद्धार परमेश्वर की ओर से एक भेंट है (रोमियों 6:23)। हम में से प्रत्येक को परमेश्वर के सामने अपने पापों का अंगीकार करने के द्वारा (नीतिवचन 28:13) पश्चाताप के साथ (प्रेरितों के काम 3:19; 2 कुरिन्थियों 7:10) व्यक्तिगत रूप से इस भेंट को प्राप्त करना चाहिए (यूहन्ना 3:3), यीशु से यह विनती करते हुए कि उन्हें क्षमा करे (लूका 11:4) और अपने प्रभु एवं स्वामी के रूप में उसमें भरोसा करते हुए (रोमियों 10:13)।
हम विश्वास करते हैं कि जब हम यीशु के सामने इस समर्पण को करते हैं, तो वह हमें एक नई सृष्टि बनाता है (2 कुरिन्थियों 5:17) और सदा सर्वदा अपने हाथ में थामे रहता है (यूहन्ना 10:28)। विश्वासियों के नाते, हमें निरन्तर परमेश्वर के सामने अपने पापों का अंगीकार करते रहना है और उसकी अनुग्रहकारी क्षमा की खोज करते रहना है (1 यूहन्ना 1:8-10)। चूंकि पाप का परिणाम मृत्यु है (रोमियों 6:23), इसलिए ऐसे लोग जो मसीह में उद्धार के परमेश्वर के प्रस्ताव का इनकार करते हैं वे नरक में हमेशा के लिए उससे अलग हो जाते हैं (यूहन्ना 3:18; प्रकाशितवाक्य 20:15)।
हम विश्वास करते हैं “देह के पुनरुत्थान” में, यीशु का पुनरुत्थान उसके साथ हमें अनंत जीवन का आश्वासन देता है (1 कुरिन्थियों 15:22)। विश्वासी कभी मरते नहीं हैं (यूहन्ना 11:25-26)। शारीरिक मृत्यु की घड़ी पर, हम तुरन्त ही स्वर्गलोक में यीशु के साथ एक हो जाते हैं (लूका 23:43)।
हम विश्वास करते हैं “मसीह के द्वितीय आगमन” में। हम विश्वास करते हैं कि कलीसिया की धन्य आशा यह है कि मसीह स्वर्ग से वापस आता है, उन मसीहियों को ऊपर उठा लेने के लिए जो मर गए हैं, उनके साथ जो जीवित हैं, कि उसके साथ सदा सर्वदा रहें।
हम विश्वास करते हैं जीवन की अनंतता में। मसीही लोग अनश्वर देहों में परमेश्वर के साथ अनंतकाल बिताएंगे (1 कुरिन्थियों 15:42-44, 53-55), सदा सर्वदा उसकी आराधना करते हुए (प्रकाशितवाक्य 5:13)। यीशु हमें अब बहुतायत का जीवन (यूहन्ना 10:10) और स्वर्ग में उसके साथ अनंत जीवन देने के लिए आया था (यूहन्ना 14:1-3)। ये कथन निर्माण करते हैं “उस विश्वास की जो पवित्र लोगों को एक ही बात सौंपा गया था” (यहूदा 3)। वे उन सब के लिए धर्मविज्ञान सम्बन्धी नींव को आकार देते हैं जिसे हमारी सेवकाई करती है, कि परमेश्वर के राज्य को संसार के चारों ओर फैलाएं (हबक्कूक 2:14)।
हम विश्वास करते हैं “अंत के समय की घटनाओं” में। हम विश्वास करते हैं कि 1,000-वर्ष की शांति के राज्य को स्थापित करने के लिए मसीह अपने संतों के साथ वापस आएगा। इसके बाद दुष्टों का अंतिम न्याय, और फिर एक नया आकाश और एक नई पृथ्वी आएगी।
हम विश्वास करते हैं “कलीसिया और उसके मिशन” में। हम विश्वास करते हैं कि कलीसिया अलौकिक रूप से बुलाई गई सेवकाई के साथ मसीह की देह है। इसका उद्देश्य है कि संसार में सुसमाचार सुनाए, परमेश्वर की आराधना करे और मसीह की समानता में बढ़ने के लिए विश्वासियों को प्रोत्साहित करे।
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- ऑन-लाइन अभियान जो मसीही भाईचारे को प्रभावित करनेवाले मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं, जागरूकता लाते हैं, और परिवर्तन लाने के लिए सहयोग जुटते हैं। निम्नलिखित याचिकाएं:
- “भारत में मसीहियों का कत्लेआम और उनसे क्रूर व्यवहार करना बन्द करो: https://persecutionrelief.org/stop-the-killing-brutalizing-of-christians-in-india/
- “भारत में धर्मपरिवर्तन विरोधी कानून का उन्मूलन, ” https://www.ipetitions.com/petition/abolishment-of-anti-conversion-law-in-india/
- “यीशु मसीह की आराधना करने की स्वतन्त्रता” https://www.ipetitions.com/petition/persecutionrelief
- “फादर टॉम उज़हुन्नालिल को रिहा करो”
- https://www.ipetitions.com/petition/rescue-fr-tom-uzhunnalil
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- सताई हुई कलीसिया के लिए पर्सिक्युशन रिलीफ एप — ज़ेफो के साथ सहयोग में पहली बार भारत में।
- पर्सिक्युशन रिलीफ ने पूरे भारत में विभिन्न संस्थाओं एवं कलीसियाओं से सम्बन्ध रखनेवाले 20,000 से अधिक मिशनरियों के साथ सहभागिता की है।
- पर्सिक्युशन रिलीफ ने अनेक मसीही स्कूलों और कॉलेजों के साथ सहबद्धता की है, कि सताई हुई कलीसिया को मुफ्त में शिक्षा प्रदान करे।
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